


हिंदू धर्म एकादशी के व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत श्री हरि नारायण भगवान विष्णु जी के लिए रखा जाता है। जितना महत्व इस व्रत का है उतना ही महत्व इस व्रत के पारण का भी होता है। एकादशी व्रत को समाप्त करने को पारण कहा जाता है। एकादशी के व्रत का पारण व्रत के अगले दिन किया जाता है। साल 2025 में अजा एकादशी का व्रत आज यानी 19 अगस्त को रखा जा रहा है।
एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी होता है। अगर किसी समय द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।
अजा एकादशी व्रत पारण 2025
अजा एकादशी के व्रत का पारण 20 अगस्त, बुधवार को किया जाएगा। इस दिन व्रत पारण करने का समय सुबह 05 बजकर 53 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 29 तक रहेगा। इस दौरान व्रत का पारण करें। इस दिन द्वादशी तिथि समाप्त दोपहर 1 बजकर 58 मिनट पर होगी। माना जाता है कि व्रत का पारण ना करने या सही समय पर ना करने से साधक को सही फल की प्राप्ति नहीं होती। सही समय और सही विधि से पारण करने पर शुभ फल की प्राप्ति होती है और विष्णु जी और मां लक्ष्मी जी की कृपा सदैव अपने भक्तों पर बनी रहती है।
व्रत पारण विधि
- प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु का पूजन करें।
- तुलसी दल, पीले पुष्प और पंचामृत से अर्पण करें।
- व्रतधारी को दान-दक्षिणा और ब्राह्मण भोजन के साथ पारण करना चाहिए।
- पारण के समय सात्विक भोजन करें — जैसे दूध, फल, खीर, पुए आदि।